सनौली मे मिला 4000 साल पुराना रथ[सनौली का रहस्य ][सनौली का इतिहास ] क्या आप जानते है ? कि सिंधु घाटी की सभ्यता को सबसे प्राचीन सभ्यता कहा जाता है और साथ ही भारत मे आर्यो का आगमन यूरोप से एवम घोड़ो का भी भारत मे आगमन अन्य देश से होना बताया जाता हैं ।भारत के इतिहास को जाने और समझने के पहले भारत की स्थिति को समझना होगा ।
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भारत की स्थिति आज ओर कल
भारत जो दुनिया का एक ऐसा देश जिसको पाने और शासन करने की जिज्ञासा प्राचीन समय से लेकर आज भी सभी शासको के मन मे रहती है और इसी जिज्ञासा को पूरा करने के लिए कई बार इस पर कई राजाओ सरदारों ओर कबीलो दारा समय समय पर आक्रमण किये गए । किन्तु फिर भी ये अपनी स्थिरता को लिए आज भी अपने सिर के ऊपर स्थित हिमालय की चोटी की तरह आज भी खड़ा है ।भारत के प्रति अन्य देशों का आकर्षण इसके वैभवशाली प्राचीन संस्कृति इसके शिल्पकलाओं गंगा यमुना नर्मदा जैसे चमत्कारिक नदियों के होने के कारण स्वतः ही इसकी ओर खीचलाता है ।वैसे तो विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यताओं में भारत की सिंधु घाटी की सभ्यता को विश्व की प्राचीन सभ्यता कहा जाता हैं। सिंधुघाटी की सभ्यता चुकी ये सभ्यता सिंधु नदी के तट पर खुदाई के दौरान मिलने से इसे सिन्धुघाटी की सभ्यता कहा जाता हैं।इसके अलाबा प्राचीन भारत मे मोहनजोदड़ो, हड़प्पा ,कालीबंगा ओर भी कई स्थान पर इस प्रकार की सभ्यताए मिली है ।
सनौली बागपत [सनौली का रहस्य ]
सनौली मे मिला 4000 साल पुराना रथ[सनौली का रहस्य ][सनौली का इतिहास ] मे वैसे भारत मे कई प्राचीन सभ्यताओं के होना कोई नई बात नही है किंतु विगत बर्ष 2005 में भारत की राजधानी दिल्ली से उतर की ओर लगभग 70 किलोमीटर दूर बागपत जिले के सनौली गाव में कुछ किसानों को अपने खेतों मैं काम करते समय कुछ ताबे के बर्तन ओर कुछ अन्य धातु के समान मिले जिसकी सूचना स्थानीय प्रशासन को दी गयी और फिर इसकी खबर पुरातत्व विभाग अर्थात अर्कलोजीक सर्व ऑफ़ इंडिया को दी गयी उनके दारा उस जगह पर खुदाई की गई जहा से प्राचीन बर्तन आभूषण ओर नर कंकाल मिले और जब नर कंकाल मिलने की संख्या ज्यादा दिखी तो इसे एक क्रबिस्तान समझकर वहा खुदाई को बंद कर दिया गया।इसके बाद बर्ष 2018 में एक बार भी कुछ किसानों को फिर इसी तरह से आभूषण बर्तन आदि के साथ कुछ अन्य सामान मिलना सुरु हुआ । जिसकी जानकारी आर्कलोगिकल आफ इंडिया को दी गयी और एक बार फिर वहां पर बड़े पैमाने पर जांच कर खुदाई शुरू कर बाई गयी इस बार बड़े ही चोकाने बाले रहस्य सामने आने लगे ।
यहां खुदाई के दौरान कई ऐसे ताबूत मिले वैसे ताबूत का मिलना मिश्र सभ्यता का प्रतीक है क्योंकि मिश्र के पिरामिड में ही ताबूत मिलते थे । पहली बार भारत मे भी ताबूत मिले जो कि मिश्र में मिले ताबूत से अलग है ।
मिश्र के ताबूत से अलग ताबूत (mishr tabut different in india tabut )
मिश्र में ताबूत का उपयोग वहां के राजा महाराजा को एक मम्मी के रूप में कई प्रकार की औषधीय लेप लगाकर इन ताबूत में सुरक्षित रख जाता था साथ ही इन राजाओ के पसंद के समान को भी इनके साथ रखा जाता था। ये केबल मिश्र की सभ्यता में ही मिलता था किन्तु भारत के अंदर सनोली गाव में भी मिस्र की तरह के ताबूत मिले है मिस्र ओर भारत के ताबूत में अंतर ये है कि भारत मे मिले ताबूत एक टेबल की तरह चार लेग है जबकि मिस्र के ताबूत में ऐसा नही है ।
भारत मे मिला 4000 साल पुराना रथ (4000year’s chariot found in india)
भारत मे मिला 4000 साल पुराना रथ 4000 year-old chariot found in india अभी तक रथ chariot की खोज भारत के बाहर से होना बताया गया कि रथ का उपयोग यूरोप में किया जाता था भारत मे भी रथ यूरोप से ही आये थे भारत के अंदर किसी भी काल की सभ्यता में रथ ओर घोड़ो का उपयोग नही किया गया क्योंकि रामायण और महाभारत के समय को ये इन ग्रंथों ओर महाकाव्यों को केबल काल्पनिक माना है किंतु बागपत के सनोली गाव की खुदाई ने इतिहासकारो को अपने मत पर विचार करने को मजबूर कर दिया सनोली में मिले रथ जो कि एक पूर्ण स्वरूप में मिला है जिसके दोनों पहिये ओर एक नाल भी मिली जिसे इस रथ को घोड़ो के साथ ही उपयोग किया जाता था।
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सनौली का इतिहासईई
सनौली का इतिहास
भारत का इतिहास सबसे प्राचीन इतिहास में से एक है इन्हीं में से दुनिया की सबसे प्राचीन सभ्यता जिसे हम सिंधु घाटी की सभ्यता कहते हैं वह उसका भी उद्गम स्थल भारत ही है सिंधु घाटी सभ्यता को अट्ठारह सौ ईसापूर्व से लेकर 2500 ईसा पूर्व के मध्य माना जाता है इसी प्रकार सनौली उद्गम की गए स्थल पर मिले हुए अवशेषों को कार्बन डेटिंग के आधार पर इनका 4000 ईसा पूर्व होना पाया गया है जो कि सिंधु घाटी सभ्यता के समकालीन माने जाते हैं साथी एक भ्रांति है कि यह महाभारत कालीन समय के अवशेष होने के संकेत प्राप्त होते हैं क्योंकि इनमें जो रथ और सैनिक मिले हैं या जो हथियार मिले हुए हैं वह यह सिद्ध करते है कि यह एक वॉरियर्स स्थल था यानी यह युद्ध स्थल है और इस जगह पर से पास में ही कुरुक्षेत्र जैसा स्थल पाया जाता है इस कारण से इस जगह को महाभारत कालीन समय से जोड़कर देखना गलत नहीं होगा ।
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